आरज़ूओं ने आज अरमानों की चिताओं पे दर्द भरा काष्ठीय मरहम लगाया है। आरज़ूओं ने आज अरमानों की चिताओं पे दर्द भरा काष्ठीय मरहम लगाया है।
सोचा ना था कि सोचा ना था कि
कीचड़ में कमल खिलाने की कोशिश कर रही हूं। कीचड़ में कमल खिलाने की कोशिश कर रही हूं।
कभी सोचा न था... कभी सोचा न था...
तुम हो तो मैं हूँ तुममें ही खोया हुआ तुम्हारे ही साथ साथ चलता हुआ तुम हो तो मैं हूँ तुममें ही खोया हुआ तुम्हारे ही साथ साथ चलता हुआ
न जाने तुम मुझमें क्या देखते हो यक़ीनन जो नहीं हूँ मैं वो देखते हो, न जाने तुम मुझमें क्या देखते हो यक़ीनन जो नहीं हूँ मैं वो देखते हो,